किसान आसानी से उठा पाएंगे लाखों की स्कीम का फायदा
केंद्र सरकार (Government of India) किसानों (Farmers) के लिए यूनिक फार्मर आईडी (Unique farmer ID) यानी पहचान पत्र बनाने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि पीएम-किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-Kisan Samman Nidhi Scheme) और अन्य योजनाओं के डेटा को राज्यों द्वारा बनाए जा रहे भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस से जोड़ने की योजना है. इस डेटाबेस के आधार पर किसानों का विशिष्ट किसान पहचान पत्र बनेगा || केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने एक न्यूज़ मे इसकी जानकारी दी है ||
क्या है सरकार की योजना:-
कृषि मंत्री ने कहा कि अभी इस पर चर्चा ही हुई है. काम आगे नहीं बढ़ा है. क्योंकि कोरोना वायरस (Covid-19) की वजह से सबका ध्यान अब इससे निपटने पर लगा हुआ है. लेकिन किसान पहचान पत्र बनने के बाद उन तक खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं को पहुंचाना आसान हो जाएगा.
तकनीकी तौर पर कौन कहलाता है किसान:-
इस समय देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं. जिनमें से 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान हैं. यानी जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम खेती है. तकनीकी तौर पर किसान कहलाने के लिए सरकारी पैमाना है. इस पैरामीटर पर खरे उतरने वाले ही खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं.
राष्ट्रीय किसान नीति-2007 के अनुसार 'किसान' शब्द का मतलब उगाई गई फसलों की आर्थिक या आजीविका क्रियाकलाप में सक्रिय रूप से शामिल व्यक्ति तथा अन्य प्राथमिक कृषि उत्पादों को उगाने वाले व्यक्ति से है.
इसमें काश्तकार, कृषि श्रमिक, बटाईदार, पट्टेदार, मुर्गीपालक, पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालक, माली, चरवाहे आते हैं. रेशम के कीड़ों का पालन करने वाले, वर्मीकल्चर तथा कृषि-वानिकी जैसे विभिन्न कृषि-संबंधी व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति भी किसान हैं.
कितने गांवों का रेवेन्यू डेटा हुआ डिजिटल:-
देश में 6,55,959 गांव हैं. बीती 4 फरवरी तक इनमें से 5,91,421 गांवों के रेवेन्यू रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन या कहें कि कंप्यूटरीकरण हो गया है. भूमि रिकॉर्ड डेटाबेस का कंप्यूटरीकरण (Digitization of Land Records) होने के बाद किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करने वालों का वेरीफिकेशन आसान हो जाएगा.
केंद्र सरकार के पास करीब 10 करोड़ किसान परिवारों का आधार, बैंक अकाउंट नंबर और उनके रेवेन्यू रिकॉर्ड की जानकारी प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के तहत एकत्र हो चुकी है. इस डेटाबेस को मिलाकर यदि पहचान पत्र बनाने की कल्पना यदि साकार होती है तो किसानों का काम काफी आसान हो जाएगा.
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